गंधक की उत्पत्ति (Mythological Origin) – माता पार्वती से सम्बन्ध:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गंधक माता पार्वती के शरीर से उत्पन्न हुआ माना गया है। एक कथा के अनुसार:
जब माता पार्वती ने गंगा स्नान कर अपने शरीर पर उबटन (लेप) लगाया, उस उबटन के कणों से गंधक की उत्पत्ति हुई। इसे एक शुद्ध, दिव्य और जीवनदायी तत्व माना गया, जो शरीर की मलिनता दूर करने में सक्षम है।
⚗️ गंधक का रसायनशास्त्र में उपयोग (Uses in Alchemy/Rasayan Shastra):
कायाकल्प (Rejuvenation):
रसायन शास्त्र में गंधक का प्रयोग शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
धातु शोधन (Purification of Metals):
रसायन प्रक्रिया में गंधक का उपयोग सोना, चांदी आदि धातुओं को शुद्ध करने में होता है। यह धातुओं की खनिज अशुद्धियों को निकालता है।
रससिद्धि में प्रयोग:
गंधक को पारा (Mercury) के साथ मिलाकर रससिद्धि प्राप्त की जाती है — जिससे जीवनदायी रसायन या औषधियाँ तैयार होती हैं।
कुष्ठ रोग व त्वचा विकारों में:
आयुर्वेद में गंधक को कुष्ठ (leprosy), चर्मरोग, खाज-खुजली, सफेद दाग, और मुंहासों में अति उपयोगी माना गया है।
गंधक रसायन – आयुर्वेदिक योग:
“गंधक रसायन” नाम की आयुर्वेदिक औषधि शरीर की शक्ति बढ़ाती है, वात-पित्त-कफ को संतुलित करती है और पुरुषों में वीर्यवृद्धि भी करती है।
🧪 गंधक को शुद्ध करने की विधि (Shodhan Vidhi):
गंधक का उपयोग करने से पहले उसे शुद्ध किया जाता है। इसके लिए:
गंधक को गाय के दूध, गोमूत्र, नींबू रस या त्रिफला क्वाथ में कई बार उबालकर या धोकर शुद्ध किया जाता है।
शुद्ध गंधक ही चिकित्सा या रसायन प्रयोगों में उपयोग होता है।
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